न जाने ज़माने को आजकल क्या हो गया है
ना जाने जमाने को क्या हो गया है आजकल
वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का युग है
हर कोई कहता है मेरे पास समय ही नही है
पर सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक
सभी क्षेत्र में यह गहन चर्चा का विषय है
अपना तो विशिष्ट पहचान बनाना चाहते है सभी
पर किस कदर गिराए किसी को
इंसान ये क्यूं सोचने लगा है आजकल
ना जाने जमाने को क्या हो गया है आजकल।
दिखावा हो रहा है आम दुनिया में आजकल
मिट रहा है शराफत का नाम आजकल
अपनी गलती को जानबूझकर दूसरो पर
लोग थोपने लगा है आजकल
किस कदर गिराए किसी को
इंसान ये क्यूं सोचने लगा है आजकल
ना जाने जमाने को क्या हो गया है आजकल।
धरा में अधर्म का साम्राज्य बढ़ने लगा है आजकल
धर्म के प्रति मन में श्रद्धा कम होने लगा है आजकल
गीता का लेखनी हमें बहुत कुछ सिखाती है
पर लोगों का विचार क्यों बदल रहा है आजकल
किस कदर गिराए किसी को
इंसान ये क्यूं सोचने लगा है आजकल
ना जाने जमाने को क्या हो गया है आजकल।
न हो अधर्म और न हो अत्याचार
सभी समाज में ऐसा रंग चढ़ाना है
परहित सरिस धरम नही भाई
इस नीति को जन जन को बताना है
किस कदर गिराए किसी को
इंसान ये क्यूं सोचने लगा है
आजकल
ना जाने जमाने को क्या हो गया है आजकल।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
03-Dec-2023 06:30 PM
👏👌
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